क्या नवीन कोरोनाविषाणु का उद्विकास हो रहा है? - भाग २

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Novel Coronavirus

 

SARS-CoV-2 के जीनोम अनुक्रम का विश्लेषण चिकित्सकीय रणनीतियों जैसे कि औषधियों या टीका के विकास के लिए  महत्त्वपूर्ण है।  इस प्रकार के अध्ययन केवल नवीन कोरोनाविषाणु की रोकथाम ही नहीं बल्कि किसी क्षेत्र या देश विशेष में पाए जाने वाले उत्परिवर्तनों की पहचान करने में भी सहायक होंगे। "क्या नवीन कोरोनाविषाणु का उद्विकास हो रहा है" नामक लेख ने वैश्विक स्तर पर SARS-CoV-2 के जीनोमिक उत्परिवर्तनों पर किए गए विभिन्न शोधकार्यों पर परिज्ञान प्रदान किया। इस लेख में भारत में हुई जीनोमिक अनुक्रमण वाले अध्ययनों के विशेष परिणामों पर चर्चा की गई है।

विषाणु के जीनोम का विश्लेषण प्रायः वैश्विक डेटाबेस जैसे कि GISAID (SARS-CoV-2 और इन्फ्लुएंजा विषाणुओं के जीनोमिक डाटा का प्राथमिक स्रोत), और Nextstrain (एक मुक्त स्रोत योजना जो SARS-CoV-2 के जीनोम का विश्लेषण कर विवरण प्रदान करती है) से होता है। विषाणु के वैश्विक प्रसार को समझने के लिए, स्वीकृत सूचकों की एक नामावली का उपयोग कर विषाणुओं के विभिन्न क्लेडों (जीवों का समूह जिनका उद्विकास एक उभयनिष्ठ पूर्वज से हुआ है) की पहचान की जाती है। यह न केवल विश्व के विभिन्न भागों के पाए जाने वाले विषाणुओं की नस्लों की पहचान करने अपितु इनकी वंशावली और पूर्वजों का पता लगाने में भी मदद करता है।

GISAID से संदर्भित ५५ देशों से प्राप्त ३६३६ जीनोम अनुक्रमों के आधार पर तैयार एक विवरण में यह दर्शाया गया है कि SARS-CoV-2 में संभवतः ११ विभिन्न उत्परिवर्तन हुए हैं जिन्हें  १० क्लेडों में श्रेणीबद्ध किया जा सकता है। Nextstrain में प्रयोग में लाई जाने वाली नामावली के आधार पर क्लेडों की पहचान "O " (पूर्वज के रूप में), B, B1, B2, B4, A3, A6, A7, A1a, A2, A2a के रूप में की गयी है। इनमे से A2a क्लेडऔर इसके D614G प्रकार का आविर्भाव विश्व में प्रभावी नस्ल के रूप में हुआ है।

भारत में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के अंतर्गत दो संस्थान सेलुलर एवं आण्विक जीवविज्ञान केंद्र (CCMB) और जीनोमिकी और समवेत जीवविज्ञान संस्थान (IGIB) देश के अंदरूनी स्रोतों से प्राप्त विषाणु के जीनोमिक अनुक्रमों का विश्लेषण कर रही हैं। इस अध्ययन में विभिन्न राज्यों गुजरात, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और तेलंगाना से प्राप्त SARS-CoV-2 विषाणु के ३६१ जीनोम अनुक्रमों का विश्लेषण किया गया है (२५ मई २०२० तक)। उन्होंने बड़ी संख्या में उपस्थित प्रभावी गुच्छों (समानता पर आधारित अनुक्रमों को एक साथ करके) का वर्णन किया है जो उन १० क्लेडों के अंतर्गत नही आते हैं अतः उन्हें क्लेड I/A3i नामक अलग श्रेणी में रखा गया है, जो एक ऎसी नस्ल है जिसकी विशेष उपस्थिति केवल भारत में (तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र और दिल्ली में उच्चतम अनुपात में तथा बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात और मध्य प्रदेश कम अनुपात में) है। इससे यह स्पष्ट होता है कि SARS-CoV-2 भारत में भी उत्परिवर्तित हुआ है, जिसके कारण न्यूक्लिओकैप्सिड प्रोटीन और आवरण (एन्वेलप) जीन परिवर्तित हो गए, और ये परिवर्तन वैश्विक A2a क्लेड में मुख्यरूप से पाये जाने वाले स्पाइक प्रोटीन और झिल्ली के जींस के परिवर्तनों से अलग है।

राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) और CSIR-IGIB ने अन्य किसी अध्ययन में देश में विषाणु के स्थानीय संचारण की जांच की। इस अध्ययन ने स्पष्ट किया कि यूरोप एवं पश्चिमी और पूर्वी एशियाई देशों से SARS-CoV-2 के विविध समावेशन हुए हैं। इस अध्ययन ने देश के विभिन्न भागों से १०४ पूर्ण जीनोम अनुक्रमों को खंगाला और पाया कि विषाणु के कुछ नूतन प्रकार है जो पूर्वी और पश्चिमी एशियाई प्रकारों से मिलते जुलते हैं। यह विषाणुओं की समान उत्पत्ति, जो संभवतः भौगोलिक और जलवायु दशाओं से संबंधित है, को दर्शाता है। रोचक बात यह थी कि, D614G जो विषाणु के स्पाइक प्रोटीन में  होने वाला प्रचुर वैश्विक उत्परिवर्तन है, अनुक्रमित जीनोम के केवल आधे हिस्से में पाया गया।
विभिन्न अध्ययनों का आशय यह है कि विषाणु की भारतीय नस्ल चमगादड़ों और पैंगोलिन्स के SARS-जैसे कोरोना विषाणुओं के द्विभाजन से व्युत्पन्न है लेकिन अब तक ज्ञात MERS-CoV और मानव के अन्य कोरोना विषाणुओं से एकदम अलग हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कॉलरा और आंत्र रोग संस्थान द्वारा किए गए एक अध्ययन मे १० राज्यों के संग्रह से भारतीय SARS-CoV-2 के ४६ जीनोम अनुक्रमों को आँका गया। DNA की समजातता (DNA के दो टुकड़े जो वंश साझा करते हैं) में परिवर्तनों के प्रेक्षणों पर आधारित निष्कर्ष इस बात की ओर संकेत देते हैं कि नूतन सह-उद्विकासित उत्परिवर्तनों का प्रकट होना SARS-CoV-2 के द्रुत उद्विकास  को चिन्हांकित करता है।

इसका बात का विश्लेषण की SARS-CoV-2 की भारतीय नस्ल समय के साथ किस प्रकार पूर्वज क्लेड की तुलना में नूतन सह-उद्विकास कर रही है विषाणु के प्रोटीन की संरचना और स्वयं विषाणु में होने वाले परिणामी परिवर्तन को समझने में सहायक हो सकता है। इस अध्ययन के परिणाम के साथ-साथ अन्य जातिवृत्तीय अध्ययनों ने स्थापित किया है कि चमगादड़और पैंगोलिन्स SARS-CoV-2 की उत्पत्ति के समीपस्थ हैं।
SARS-CoV-2 के विशिष्ट उत्परिवर्तनों का अध्ययन विषाणु के प्रसारण को अच्छे तरीके से समझने और औषधीय उपचारों के विकास में सहायक सिद्ध होंगे। साथ हीं साथ, विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों से प्राप्त जीनोमिक अनुक्रम महामारी विशेषज्ञों को क्षेत्र विशेष कार्यनीति बनाने में समर्थ बनाएंगे।

मीना खराटमल होमी भाभा विज्ञान शिक्षा केंद्र (TIFR) में एक विज्ञान अधिकारी हैं और जीवविज्ञान शिक्षण में कार्यरत एक PhD छात्रा हैं।